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मेरे हर कदम तेरे राह में।

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तेरी याद में डूबे हुए मेरे पलकें हैं कुछ ऐसे। किसी चाह की अब चाह नहीं बस चाह है तुझसे। मेरे यादों के गुलशन का तू बगीचा है आंगन है। एक सपना है सपनों में सही सपने मिले तुझसे। मिलेंगे एक दिन उम्मीद लिए मैं ये जिया जाऊ। कर दूर कर ये दूरियां ना दूर रह मुझसे । तुम्हें ना भी बुलाऊ तो तुम ख़ुद चले आना। आ बेर कर ये बेड़ीयां ना बैर रख मुझसे। मेरे दिल के वीरानेपन को तू दूर कर ऐसे। के सूना दिल सूनी दुनियां सब सूना हो सूनेपन से। खोया हुआ हूं मैं मुझमे अब तू ही वापस ला। बुला ले तू बुला कर यूं कि बुलाना ना पड़े फिर से।   मैं रोता हूं सदा जब ना तुझे मैं पास पाता हूं। जीना है तेरे संग और जान है मेरी बसी तुझमें।  ये जीवन है बहुत ही कम मेरी उम्मीद ज्यादा है। हैं राह मेरे हर कदम जो है शुरू और खत्म है तुझमें। 

तेरे संग खत्म हो ये जीवन तेरे संग नई शुरुआत हो।।

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       जिंदगी के हर हालात में तेरा साथ हो, मेरे हाथों में हरदम तेरा हाथ हो, जीना भी तेरे और मरना भी तेरे साथ हो, बस जिंदगी के हर हालात में तेरा साथ हो। हमारे मिलन की कुछ ऐसी शुरुआत हो, जब मिलें हम तुम तो रिमझिम बरसात हो, मेरे दिल को बस तेरी तलाश हो जिंदगी के हर हालात में बस तेरा साथ हो। दिल की हर धड़कन से तेरी आवाज़ हो  सांसों में तेरी खुशबू का अहसास हो पास ना होने पर भी तेरे होने का अहसास हो जिंदगी के हर हालात में बस तेरा साथ हो। पुकारे चाहे कोई भी पर तेरी आवाज़ हो तू रहे खुश हमेशा चाहे वक्त नाराज़ हो तेरे संग बीते हर दिन तूझसे ही फ़िर शुरुआत हो जिंदगी के हर हालात में बस तेरा साथ हो। रूठ जाए दुनियां मुझसे पर तू ना कभी नाराज़ हो मेरे गाए हर गीत में तेरी ही आवाज़ हो तेरे संग खत्म हो ये जीवन तेरे संग नई शुरुआत हो जिंदगी के हर हालात में बस तेरा साथ हो।   

।।सब संग हैं मेरे।।🧡

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 चले थे साथ लेकर राह में जो पास था अपने, मेरे मंजिल की भांति वो भी अब बन गए सपने। कभी तो सोचता हूं जिंदगी में क्या किया जाए, जरूरत के समय ही छोड़ दें जब साथ सब अपने। तलाश है कुछ अवसर की और मंजिल भी पाना है, मगर अब क्या करें अफसोस चोरों का जमाना है। अभी तो सोच में थे और आगे क्या किया जाए, जब जाना हो कोसों दूर और बेड़ियां हो पैर में जकड़े। अब मन है भावुक और धुंधला सा सवेरा है, चाहे देखूं जिस भी ओर वहां तम का बसेरा है। कुछ पाने की खातिर सब कुछ से हमने मुंह मोड़ा है, लेकिन ख्यालों की ओझल तस्वीरें हैं मेरे मन में। कहें क्या और अब किस्मत के इन झुलसे लकीरों से, हैं योग्य लेकिन रह रहे रुठे मुरीदों से, मैं एक दिन लौट आऊंगा लिये वो सब बुझे सपनें, जो हैं पिछड़े हुए उनको भी ले मैं संग चलूं अपने।                 

।।हिंदुत्व मेरी पहचान।।🙏🔥

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       यह प्रबल समय की मांग है हिंदुत्व मेरी पहचान है।। जलता हुआ अघोर अनल जैसा मेरा अभिमान है मैं हूं धरा का भूमि पुत्र मुझसे इसकी पहचान है। जो करता लोक संकट संघार उसमें मेरा ही नाम है मैं हूं विलीन और शकल गगन यह भी मेरा वरदान है। यह प्रबल समय की मांग है हिंदुत्व मेरी पहचान है।। मैं करता राष्ट्र निर्माण निरंतर और यही मेरा प्रमाण है ना झुकना मेरा कर्म और राष्ट्रहित ही मेरा गान  है। ना किया किसी पर अत्याचार ना किया अकारण ही प्रहार मैं सदाचार से घिरा निरंतर यह भी मेरा गुणगान है यह प्रबल समय की मांग है हिंदुत्व मेरी पहचान है।।

भटका हुआ एक मुसाफिर

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  भटका हुआ एक मुसाफिर   दिशा हीन हर राह परि है ,   और भटकता एक मुसाफ़िर।   बढ़ रहा मंजिल पाने को ,   मुड़- मुड़ कर देखता है फिर-फिर।     दुनिया की नज़रों मे वह ,   भुला , भटका , बेकार रहा है।   पर उसकी आंखों मे तो ,   सबके हीत हरदम प्यार रहा है।     सपनों की दुनिया मे वह तो ,   ज़मी पे चाँद सितारे लाता।   पर सपनों के बाहर वह ,   केवल दु:ख़ को ही है पाता।     क्या विचित्र लेखनी है विधि की ,   उसका माँ तक पर अधिकार नहीं है।   विधि ने छाया दिया है उसको ,   पर उसका घर द्वार नहीं है।     जो जन्मदायिनी माता है ,   वह जिसने दूध पिलाया है।   उसकी ममता भी बट जाती ,   यह विधि की कैसी माया है।     नीज़ पुर-परिजन को त्याग वह ,   घर-द्वार छोर कर चला हुआ।   बढ़ता केवल उम्मीद लिये ,   जो हुआ सभी कुछ भला हुआ।     सपनों मे विश्व विजेता वह ,   मन के द्वारे पर हारा है।   वह जीता बस उम्मीद लिए ,   कि केवल " राम" सहारा है।     लोग बोलते भाग्य लेखनी ,   नर के हांथों मे होता है।   कुकर्मों के फल को हर ,   नर अपने आंसु से धोता है