।।सब संग हैं मेरे।।🧡
चले थे साथ लेकर राह में जो पास था अपने,
मेरे मंजिल की भांति वो भी अब बन गए सपने।
कभी तो सोचता हूं जिंदगी में क्या किया जाए,
जरूरत के समय ही छोड़ दें जब साथ सब अपने।
तलाश है कुछ अवसर की और मंजिल भी पाना है,
मगर अब क्या करें अफसोस चोरों का जमाना है।
अभी तो सोच में थे और आगे क्या किया जाए,
जब जाना हो कोसों दूर और बेड़ियां हो पैर में जकड़े।
अब मन है भावुक और धुंधला सा सवेरा है,
चाहे देखूं जिस भी ओर वहां तम का बसेरा है।
कुछ पाने की खातिर सब कुछ से हमने मुंह मोड़ा है,
लेकिन ख्यालों की ओझल तस्वीरें हैं मेरे मन में।
कहें क्या और अब किस्मत के इन झुलसे लकीरों से,
हैं योग्य लेकिन रह रहे रुठे मुरीदों से,
मैं एक दिन लौट आऊंगा लिये वो सब बुझे सपनें,
जो हैं पिछड़े हुए उनको भी ले मैं संग चलूं अपने।
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